कलेक्टर का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है (collector ka karyakal kitne varsh ka hota hai) आज के इस लेख में हम जाने वाले हैं और कलेक्टर से संबंधित काफी सारे सवालों का जवाब जोड़ने वाले हैं।
कलेक्टर के बारे में बात किया जाए तो कलेक्टर को हम डीएम भी कहते हैं लेकिन आपको बता दें कि यह दोनों पद अलग-अलग होते हैं।
लेकिन दोनों पद पर एक ही व्यक्ति कार्य करते हैं जो जिले में भूमि या राजस्व से संबंधित कार्य को करते हैं उन्हें कलेक्टर करते हैं।
कलेक्टर के कई सारे काम होते हैं जैसे जिले में कानून व्यवस्था को बनाए रखना उसके लिए जरूरी कदम उठाना तथा जरूरत पड़ने पर कर्फ्यू लगाना इत्यादि।
आपको बता दें कि एक कलेक्टर का बहुत सारा काम होता है और एक कलेक्टर का काम रिस्क से भरा होता है।
काफी सारे छात्र कलेक्टर बनना चाहते हैं और उसके प्रोसेस के बारे में जानना चाहते हैं तो आज इस लेख में हम इससे संबंधित बहुत सारे सवालों का जवाब दिए हैं।
कुछ लोगों का यह भी सवाल था कि कलेक्टर का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है (collector ka karyakal kitne varsh ka hota hai) तो चलिए आज के इस लेख के माध्यम से हम यह जानते हैं।
तो आप इस लेख को पूरा अंत तक पढ़े ताकि आपको इससे संबंधित सभी प्रकार के सवालों का जवाब मिल जाए और आप को समझने में किसी भी प्रकार का दिक्कत ना हो।
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कलेक्टर का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है
एक कलेक्टर का कार्यकाल की बात करें तो एक कलेक्टर को 6 महीने से 2 साल के लिए रखा जाता है यह अलग अलग राज्य में अलग-अलग अवधि होती है।
किसी किसी राज्य में कलेक्टर को लगभग 1 साल के लिए रखा जाता है तो किसी किसी राज्य में 1 साल से कम रखा जाता है उसके बाद कलेक्टर को चेंज कर दिया जाता है।
कलेक्टर का कार्यकाल की बात करें तो यह एक कलेक्टर के ऊपर ही निर्भर करती है क्योंकि वह जल्दी अच्छे से कार्य करें तो उसके कार्यकाल को बढ़ा दिया जाता है।
लेकिन जल्दी वहां कार्य करने में सक्षम नहीं है अथवा किसी भी प्रकार की गलती उनसे हो जाती है तो वहां पर कलेक्टर को चेंज कर दिया जाता है।
ऐसे भी यदि बात किया जाए तो एक कलेक्टर की अवधि बहुत कम होती है एक कलेक्टर की अवधि लगभग 1 साल से नीचे ही रहती है उसके बाद कलेक्टर को बदल दिया जाता है।
बहुत कम ऐसे कलेक्टर रहते हैं जिन्हें 1 साल से ज्यादा का कार्यकाल मिलता है क्योंकि कलेक्टर को लगभग 1 साल से पहले ही चेंज किया जाता है।
एक कलेक्टर की कार्य की बात की जाए तो उन्हें बहुत सारे कार्य को करना होता है और जिले में कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाना होता है।
कानून को सुचारू रूप से चलाने के लिए किसी भी प्रकार के जरूरी कदम को उठाना पड़ता है जरूरत पड़ने पर कर्फ्यू भी लगाना पड़ता है तथा धारा 144 भी लागू करना होता है।
यह सब काम एक कलेक्टर के द्वारा किया जाता है जिले में विकास से संबंधित कार्य को भी एक कलेक्टर ही करते हैं तथा क्षेत्र में चल रही सभी योजनाओं पर नजर भी रखते हैं और उनकी निगरानी भी करते हैं।
यदि क्षेत्र में कोई बड़े मंत्री आते हैं तो उनकी व्यवस्था एक कलेक्टर के द्वारा ही किया जाता है तथा जिले में किसी भी प्रकार के आपदा आने पर उनके लिए जरूरी कदम एक कलेक्टर ही उठाते हैं।
जिले में किसी भी प्रकार की आपदा आने पर लोगों को राहत मुहैया कराना तथा उनके लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करना यह सब एक कलेक्टर का जिम्मा होता है।
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कलेक्टर की 1 महीने की सैलरी कितनी होती है?
कलेक्टर की 1 महीने की सैलरी की बात की जाए तो एक कलेक्टर को सातवां वेतन आयोग के अनुसार हर महीने ₹80000 से ₹250000 तक दी जाती है।
कलेक्टर की सैलरी हर जगह अलग-अलग होती है अर्थात एक कलेक्टर की सैलरी हर राज्य में अलग-अलग होती है किसी किसी राज्य में कलेक्टर की सैलरी ₹100000 होती है तो किसी राज्य में ₹150000।
आपको बता दें कि एक कलेक्टर कैबिनेट सचिव के पोस्ट पर भी जाते हैं और जब एक कलेक्टर कैबिनेट सचिव के पोस्ट पर पहुंचते हैं तो उस समय उनकी सैलरी ₹250000 रुपए तक होती है।
एक कलेक्टर को सैलरी के अलावा भी कई सारी सुविधाएं दिए जाते हैं और कई सारे अलाउंस भी दिए जाते हैं जोकि काफी कॉस्टली भी होती है।
जैसे एक कलेक्टर को आवास, सिक्योरिटी, बिजली, पानी, सरकारी गाड़ी इत्यादि सैलरी के अलावा यह सब सुविधाएं दिए जाते हैं।
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सबसे बड़ा कलेक्टर कौन होता है?
सबसे बड़ा कलेक्टर की बात की जाए तो डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर होती है क्योंकि डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के ऊपर पूरे शहर का जिम्मेदारी होता है।
शहर में कानून व्यवस्था को बनाए रखना पता किसी भी प्रकार की आपदा को आने से होने वाली घटनाओं या उससे संबंधित मुहैया कराना इत्यादि सभी प्रकार के कामों को एक कलेक्टर के द्वारा किया जाता है।
सर मैं कानून को सुचारू रूप से चलाने के लिए वह किसी भी प्रकार का कदम उठा सकते हैं वह चाहे तो शहर में कर्फ्यू को लगा सकते हैं तथा धारा 144 भी लागू कर सकते हैं।
एक कलेक्टर का यह भी काम होता है कि वह क्षेत्र में चल रही योजनाओं पर नजर रखे तथा उसकी निगरानी करें एक कलेक्टर का बहुत सारा काम होता है जो कि शहर को सुचारू रूप से चलाने के लिए किया जाता है।
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12वीं के बाद कलेक्टर कैसे बने
12वीं के बाद कलेक्टर बनने के लिए सबसे पहले आपको ग्रेजुएशन करना पड़ता है क्योंकि कलेक्टर बनने के लिए यूपीएससी का एग्जाम देना होता है और यूपीएससी का एग्जाम देने के लिए न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन होती है।
अर्थात यदि आप ग्रेजुएशन करते हैं तभी आप यूपीएससी के एग्जाम में शामिल हो सकते हैं और यदि आप ग्रेजुएशन नहीं किए हुए हैं तो आप सिर्फ 12वीं पास करने के बाद यूपीएससी के एग्जाम में शामिल नहीं हो सकते हैं।
आप चाहे तो बारहवीं तथा ग्रेजुएशन में किसी भी स्ट्रीम से पढ़ाई कर सकते हैं और पास करने के बाद यूपीएससी एग्जाम में शामिल हो सकते हैं।
यूपीएससी एग्जाम में आपको टॉप हंड्रेड स्टूडेंट्स के रैंक में अपना नाम लाना होता है यदि आप टॉप 100 स्टूडेंट्स के रैंक में अपना नाम लाते हैं तो ही आप कलेक्टर बन सकते हैं।
यूपीएससी परीक्षा में टॉप रैंक हासिल करने के बाद आप एक आईएएस ऑफिसर बन सकते हैं तथा आईएएस ऑफिसर बनने के बाद जब आपका प्रमोशन होता है तो आप एक कलेक्टर बन जाते हैं।
यदि साधारण भाषा में बात किया जाए तो कलेक्टर बनने के लिए सबसे पहले आपको 12वीं कक्षा पास करना होता है और उसके बाद ग्रेजुएशन पास करना होता है।
ग्रेजुएशन पास करने के बाद आपको यूपीएससी का एग्जाम देना होता है और यूपीएससी का एग्जाम क्लियर करना होता है।
यदि आप यूपीएससी के एग्जाम में टॉप 100 स्टूडेंट्स के रैंक में अपना नाम ला पाते हैं तो आप एक कलेक्टर बनने के योग्य हो जाते हैं।
उसके बाद आप एक आईएएस ऑफिसर बनते हैं आईएएस ऑफिसर बनने के बाद जब आपका प्रमोशन होता है तो आप एक कलेक्टर बन जाते हैं।
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कलेक्टर बनने के लिए कितनी रैंक चाहिए?
एक कलेक्टर बनने के लिए रैंक की बात की जाए तो आपको 100 रैंक के अंदर लाना पड़ता है यदि आप 100रैंक के अंदर आते हैं तो आप एक कलेक्टर बन सकते हैं।
यूपीएससी परीक्षा में आपको 100 रैंक के अंदर लाना पड़ता है यदि आप 100 रैंक अंदर आते हैं तो आप आगे चलकर एक कलेक्टर बन सकते हैं।
प्रमोशन के द्वारा भी एक कलेक्टर बन सकते हैं इसके लिए सबसे पहले आपको एक आईएएस ऑफिसर बनना पड़ता है और जब आपका 1 या 2 प्रमोशन होता है तो आप एक कलेक्टर बन सकते हैं।
आपको बता दें कि कलेक्टर बनने के बाद आपके ऊपर रिस्क और भी ज्यादा बढ़ जाता है अब को पूरे शहर का भार सौंपा जाता है तथा पूरे शहर में कानून को सुचारू रूप से चलाने के लिए आपको जिम्मा दिया जाता है।
लेकिन जब आप एक कलेक्टर के पद पर होते हैं तो आपकी सैलरी भी बहुत अधिक बढ़ जाती है आपकी सैलरी लगभग ₹200000 प्रति महीने तक हो सकती है।
आप चाहे तो बिना आईएस बने भी एक कलेक्टर बन सकते हैं इसके लिए आपको यूपीएससी परीक्षा से एसडीएम बनना होता है।
एसडीएम बनने के बाद अब कलेक्टर के पद पर जा सकते हैं तथा कलेक्टर के रूप में सेवा प्रदान कर सकते हैं।
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CONCLUSION :-
आज के इस लेख के माध्यम से हमने जाना कि कलेक्टर का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है (collector ka karyakal kitne varsh ka hota hai) और साथ ही लोगों द्वारा पूछे गए कुछ सवालों के जवाब भी जाना।
हमको उम्मीद है कि आज का यह लेख “कलेक्टर का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है (collector ka karyakal kitne varsh ka hota hai)” आपको काफी अच्छा लगा होगा।
collector से संबंधित सभी प्रकार के सवालों का जवाब आज हम इस लेख के माध्यम से समझ गए हैं तथा लोगों द्वारा पूछे गए सभी सवालों का जवाब भी आज हम जाने।
इसके अलावा भी आपके मन में किसी प्रकार का सवाल है तो आप कमेंट कर सकते हैं आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द दिया जायेगा।
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