आयुर्वेदिक डॉक्टर की सैलरी कितनी होती है (ayurvedic doctor ki salary) अखिलेश के माध्यम से हम जाने वाले हैं और साथ ही आयुर्वेदिक डॉक्टर से संबंधित कई तरह के सवालों के जवाब जानने वाले हैं।
आयुर्वेदिक डॉक्टर वह चिकित्सक यार डॉक्टर होते हैं जो बीमारियों का इलाज आयुर्वेद पद्धति की दवाइयों से करते हैं।
आयुर्वेद पद्धति का मतलब प्राकृतिक सामग्री के मिश्रण से बनाई गई दवाइयों से होता है अर्थात प्राकृतिक सामग्री को मिलाकर दवाई तैयार किया जाता है उसे ही आयुर्वेद पद्धति कहा जाता है।
आयुर्वेद पद्धति में रासायनिक पदार्थ का प्रयोग नहीं किया जाता है और ना ही किसी केमिकल का प्रयोग किया जाता है ऐसा माना जाता है कि आयुर्वेद दवाओं का मानव शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है।
आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग करके बीमारियों का इलाज करने वाले चिकित्सक या डॉक्टर को आयुर्वेदिक डॉक्टर कहते हैं।
हमारे भारत में आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए बीएएमएस bams कोर्स को करना होता है आपको बता दें कि यह कोर्स लगभग 5 से 6 साल का होता है और इस कोर्स को बारहवीं कक्षा के बाद किया जाता है।
बहुत सारे छात्र आयुर्वेदिक डॉक्टर बनना चाहते हैं लेकिन उनके मन में हमेशा एक सवाल रहता है और रहना भी चाहिए वह सवाल है कि आयुर्वेदिक डॉक्टर की सैलरी कितनी होती है (ayurvedic doctor ki salary) ।
तो चलिए आज के इस लेख के माध्यम से हम जानने वाले हैं कि आयुर्वेदिक डॉक्टर की सैलरी कितनी होती है (ayurvedic doctor ki salary) और साथ ही आयुर्वेदिक डॉक्टर से संबंधित कई सारे सवालों का जवाब आज हम जानेंगे।
तो आप इस लेख को पूरा अंदर तक पढ़ी है ताकि आपको सभी प्रकार की जानकारी को समझने में आसानी हो और आप सभी प्रकार की जानकारी को बारीकी से समझ सके।
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आयुर्वेदिक डॉक्टर की सैलरी कितनी होती है (ayurvedic doctor ki salary)
आयुर्वेदिक डॉक्टर की सैलरी की बात की जाए तो यदि वह सरकारी अस्पताल में स्थाई रूप से डॉक्टर हैं तो उनकी सैलरी सातवें वेतन आयोग के आधार पर शुरुआत में ₹56100 का मूल वेतन दिया जाता है।
इसके अलावा भी उन्हें सभी देश भक्ति जैसे महंगाई भत्ता मकान किराया भत्ता इत्यादि दिया जाता है और काफी सारी सुविधाएं भी उनको मिलती है।
यदि एक आयुर्वेदिक डॉक्टर निजी अस्पताल में नौकरी करता है तो यह उस अस्पताल पर निर्भर करता है कि उन्हें कितनी सैलरी दी जाए लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक डॉक्टर को प्राइवेट हॉस्पिटल में भी लगभग ₹30000 की सैलरी दी जाती है।
यदि कोई आयुर्वेदिक डॉक्टर नया-नया है और उन्हें किसी प्रकार की एक्सप्रेस नहीं है तो ऐसे डॉक्टरों का सैलरी ₹15000 से ₹25000 तक दी जाती है उसके बाद जैसे-जैसे एक्सपीरियंस बढ़ता है उसकी सैलरी भी बढ़ती है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर के बारे में बात किया जाए तो आयुर्वेदिक डॉक्टर वैसे डॉक्टर होते हैं जो बीमारियों को आयुर्वेदिक दवाइयों से ठीक करते हैं अर्थात उसमें किसी भी प्रकार की अंग्रेजी दवाओं का उपयोग नहीं करते हैं।
आयुर्वेदिक दवाएं वैसे दवाएं होते हैं जिन्हें प्राकृतिक मिश्रण से बनाया जाता है अर्थात उसमे किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थ नहीं डाला जाता है और ना ही किसी भी प्रकार का केमिकल का प्रयोग किया जाता है।
आपको एक बात बता दें कि आयुर्वेदिक दवाएं कभी भी साइड इफेक्ट नहीं करती है और ना ही शरीर पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव डालता है यह एक प्राकृतिक चीज होती है जिससे शरीर को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है।
यदि आपको कभी भी किसी भी प्रकार की बीमारी हो जाए तो आप अंग्रेजी दवाओं से बेहतर आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज करें क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता है।
आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज करने पर बीमारी धीरे-धीरे खत्म होती है लेकिन बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है और शरीर भी नुकसान नहीं होती है लेकिन यदि अंग्रेजी दवाओं का प्रयोग करते हैं तो वह बीमारी को तुरंत खत्म कर देते हैं लेकिन शरीर पर भी अपना साइड इफेक्ट छोड़ जाते हैं।
तो यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस दवाओं का प्रयोग करना चाहते हैं आपको यह जानकर हैरानी होगी कि विदेशों में भी आयुर्वेदिक दवाओं का बहुत ज्यादा डिमांड रहता है।
आजकल विदेशों में भी आयुर्वेदिक दवाओं का पढ़ाई शुरू कर दिया गया है और आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज विदेशों में भी होता है हमारे भारत का देन हमारे भारत में ही लुप्त है।
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आयुर्वेद में डॉक्टर को क्या कहते हैं?
आयुर्वेद में डॉक्टर को आयुर्वेदिक चिकित्सा कहा जाता है अर्थात वैसे चिकित्सा या वैसे डॉक्टर जो किसी भी बीमारी का इलाज आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों या आयुर्वेदिक दवाओं से करती है।
आपको बता दें कि आयुर्वेदिक दवाएं वैसे दबाए होती है जिन्हें प्राकृतिक जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनाए जाते हैं और ऐसे दवाएं किसी भी प्रकार की साइड इफेक्ट नहीं पैदा करती है।
आयुर्वेदिक दवाओं को बनाते समय किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थ का प्रयोग नहीं किया जाता है और ना ही किसी भी प्रकार का केमिकल उस में डाला जाता है।
यह दवाई प्योर और शुद्ध प्राकृतिक दवाएं होती है और ऐसे दवाएं शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं डालता है।
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आयुर्वेद में सबसे ज्यादा डिग्री कौन सी है?
आयुर्वेद में सबसे ज्यादा डिग्री की बात की जाए तो सबसे बड़ी डिग्री एमबी की होती है आपको बता दें कि आयुर्वेद में भी मास्टर डिग्री पीएचडी होती है।
आयुर्वेद में डॉक्टर की डिग्री होती है और आयुर्वेद की भी पढ़ाई की जाती है अब से भारत में आयुर्वेद को बहुत ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आयुर्वेद की पढ़ाई अब देश के अलावा विदेशों में भी की जाती है क्योंकि विदेश वालों को भी है पता चल गया है कि हमारे भारत देश की आयुर्वेदिक ई औषधि में बहुत ज्यादा शक्ति है।
आयुर्वेदिक दवाओं आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों या आयुर्वेदिक औषधियों को सबसे पहले भारत देश में खोजा गया था जो लगभग आज से 5000 साल पहले खोजा गया था।
प्राचीन भारत में सिर्फ जड़ी बूटियों से ही सभी प्रकार की बीमारियों को दूर कर देता था और शरीर पर भी किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता था क्योंकि या एक सौ प्रतिशत शुद्ध जड़ी बूटियों से बना होता था और सब प्राकृतिक चीजें होती थी।
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भारत में आयुर्वेदिक डॉक्टर का स्कोप क्या है?
भारत में आयुर्वेदिक डॉक्टर की बात की जाए तो पहले तो यह लुप्त हो चुका था लेकिन अब फिर से रेस में है और आयुर्वेदिक डॉक्टर अभी सबसे अच्छे माने जाते हैं।
क्योंकि अंग्रेजी दवाओं से बीमारी को तो ठीक किया जाता है लेकिन उसके अलावा कई और बीमारी शरीर में डाल देते हैं और कई प्रकार के साइड इफेक्ट भी शरीर में देखने को मिलता है।
लेकिन यदि हम आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज करें तो इसका किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता है ना ही शरीर पर कोई दुष्प्रभाव होता है।
आपको बता दें कि आयुर्वेदिक औषधि प्राचीन भारत में प्रयोग में लाई जाती थी जिससे सभी प्रकार की बीमारियों का इलाज किया जाता था लेकिन अंग्रेजी दवाओं आने के कारण यह सब लुप्त हो चुका था।
लेकिन अब के समय में फिर से भारतीय प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि का प्रचलन शुरू हो गया है और फिर से आयुर्वेदिक तरीके से लोगों का इलाज किया जा रहा है जो कि बहुत ही अच्छा और बेहतर माना जाता है अंग्रेजी दवाओं के मुकाबले।
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आयुर्वेद की सबसे अच्छी कंपनी कौन सी है?
आयुर्वेद की ढेर सारी कंपनियां भारत में है और सभी कंपनियां लगभग लगभग अच्छी ही है क्योंकि आयुर्वेद में बहुत कम मिलावट होता है।
आयुर्वेदिक ऐसी दवाई होती है जिसके खाने पर किसी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है यदि आप अंग्रेजी दवाओं को खाते हैं तो उसके बहुत सारे साइड इफेक्ट होते हैं।
आयुर्वेद कंपनी में सबसे पुराना कंपनी डाबर इंडिया लिमिटेड को माना जाता है क्योंकि लगभग 135 वर्षों से इस में आयुर्वेद जड़ी बूटियों और दवावों को बनाया जाता है।
डाबर की बात किया जाए तो यह भारत के सबसे भरोसेमंद कंपनी है तथा दुनिया में सबसे बड़ी आयुर्वेदिक कंपनी है।
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आयुर्वेदिक दवा कितने दिन में काम करती है?
आयुर्वेद दवाओं की बात की जाए तो यह तुरंत तो काम नहीं करती है इसे काम करने में लगभग हफ्ते भर का समय लग जाता है और कभी-कभी तो महीने भी लग जाता है।
आयुर्वेद दवाई धीरे-धीरे काम करती है लेकिन किसी भी बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए काफी होती है।
आयुर्वेद दवाओं की बात की जाए तो यह भले ही लेट से काम करती है लेकिन इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है और यह प्राकृतिक दवाई होती है।
आप सभी को पता होगा कि किसी भी प्राकृतिक चीज से कुछ साइड इफेक्ट नहीं होती है साइड इफेक्ट के लिए केमिकल का होना जरूरी होता है और आयुर्वेद में केमिकल नहीं होता है।
अतः ऐसा कहा जा सकता है कि आयुर्वेद दवाओं के कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं यह सिर्फ बीमारी को दूर करने के लिए होती है और शरीर को स्वस्थ करने के लिए होती है।
आयुर्वेद दवाई 5 से 7 दिनों में अपना असर दिखाना शुरू करता है लेकिन यह जड़ से बीमारी को खत्म कर देता है और शरीर पर भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।
मेरे रिकमेंडेशन से आपको अंग्रेजी दवाएं छोड़कर आयुर्वेद दवाओं की ही प्रयोग करना चाहिए क्योंकि प्राचीन भारत में आयुर्वेद दवाओं से ही बहुत सारी बीमारियों को ठीक करते थे।
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आयुर्वेद की सबसे पुरानी किताब कौन सी है?
आयुर्वेद की सबसे पुरानी किताब के बारे में बात किया जाए तो चरक संहिता नामक एक ग्रंथ है जिसे आयुर्वेद की सबसे पुरानी किताब मानी जाती है।
आयुर्वेद की एक और पुरानी किताब है जो सुश्रुत संहिता के नाम से प्रचलित है जहां चरक संहिता में रोगों और उसके उपचार के बारे में बताया गया है वही सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा के बारे में बताया गया है।
हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथ आयुर्वेद, ऋग्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद में भी शिक्षा प्रणाली का उल्लेख किया गया है, और चिकित्सा के बारे में कई सारे बातें बताया गया है।
आयुर्वेद के अनुसार पूरा ब्रह्मांड पांच तत्वों से मिलकर बना है और आयुर्वेद में इन्हें पंचमहाभूत कहा गया है वह पांच तत्व वायु, जल, आकाश, पृथ्वी तथा अग्नि है।
आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य के शरीर में सप्त साधु (7 उक्त) होते हैं जिनका अलग-अलग काम होता है और रोगों के निदान में भी इसकी अहम भूमिका होती है वह सप्त साधु रस, वेद, रक्त, मज्जा, अस्थि, मम्स तथा शुक्र है।
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आयुर्वेद के 3 प्रकार कौन से हैं?
आयुर्वेद के बारे में बात किया जाए तो आयुर्वेद के तीन प्रमुख शाखाएं होते हैं हेतु ज्ञान, लिंग ज्ञान और औषध ज्ञान यही तीनों शाखाओं पर पूरा आयुर्वेद टिका हुआ है।
चलिए अब हम इन तीनों का परिचय देते हैं और जानते हैं कि इन तीनों में क्या-क्या कार्य होते हैं जोकि निम्नलिखित हैं।
- हेतु ज्ञान
- लिंग ज्ञान
- औषध ज्ञान
हेतु ज्ञान :- हेतु ज्ञान का मतलब है कि किसी भी प्रकार की बीमारी किस कारण से उत्पन्न हुई है उस चीज को पता लगाना।
लिंग ज्ञान :- लिंग ज्ञान का मतलब रोग का विशेष लक्षण का पता लगाना होता है कि रोग का लक्षण क्या-क्या है और रोग किस तरह से बढ़ रहा है या घट रहा है।
औषध ज्ञान :- औसत ज्ञान के बारे में बात किया जाए तो औषध ज्ञान अमुक रोग में अमुक औषधि का प्रयोग करना होता है अर्थात जिस प्रकार का बीमारी है उसका दवाई या उसका औषधि उसे देना होता है।
ऊपर हम आयुर्वेद के तीन प्रकारों के बारे में बारीकी से जाने और समझे और यह भी जाने की कैसे बीमारियों का आयुर्वेद के द्वारा इलाज किया जाता है।
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CONCLUSION :- आयुर्वेदिक डॉक्टर की सैलरी कितनी होती है | आयुर्वेद के 3 प्रकार कौन से हैं?
आज के इस लेख के माध्यम से हमने जाना कि आयुर्वेदिक डॉक्टर की सैलरी कितनी होती है (ayurvedic doctor ki salary) क्या-क्या है और साथ ही लोगों द्वारा पूछे गए कुछ सवालों के जवाब भी जाना।
हमको उम्मीद है कि आज का यह लेख “आयुर्वेदिक डॉक्टर की सैलरी कितनी होती है (ayurvedic doctor ki salary) ” आपको काफी अच्छा लगा होगा।
आयुर्वेद से संबंधित सभी प्रकार के सवालों का जवाब आज हम इस लेख के माध्यम से समझ गए हैं।
इसके अलावा भी आपके मन में किसी प्रकार का सवाल है तो आप कमेंट कर सकते हैं आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द दिया जायेगा।
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