आज के इस लेख (article) के माध्यम से हम जानने वाले हैं कि “गरुड़ कमांडो कैसे बने | Garud Commando Kaise Bane” और साथ ही गरुड़ कमांडो से सम्बंधित सभी प्रकार के सवालों का जबाब इस लेख (article) के माध्यम से जानने वाले हैं।
आपको बता दें कि देश की तीन सेनाओं अर्थात एयरफोर्स, आर्मी और नेवी के अलावा भी कुछ विशेष सेना फोर्सेस होते हैं, जो लोगों की रक्षा के लिए अपनी जी-जान लगा देते हैं।
इन स्पेशल फोर्स का निर्माण जरूरत के अनुसार, समय-समय किया गया है, जो अब तक चल रहा है और आगे भी विशेष जरूरत पड़ने पर समय-समय पर स्पेशल कमांडो का निर्माण किया जाता है। इसमें एनएसजी, पारा कमांडो, एसएफएफ, मार्कोस व एसपीजी के अलावा एक नाम ‘गरुड़ कमांडो फोर्स’ का भी आता है।
भारत के सबसे खूंखार कमांडो का नाम लिए जाता है तो उसमे गरुड़ कमांडो का नाम जरूर लिया जाता है। खतरनाक हथियारों से लैस भारतीय वायु सेना के ये कमांडो दुश्मन को खत्म करने के लिए जाने जाते हैं। इनकी ट्रेनिंग ऐसी होती है कि ये बिना कुछ खाए हफ्ते तक संघर्ष कर सकते हैं।
आज के समय में गरुड़ कमांडो की सबसे ज्यादा तैनाती जम्मू और कश्मीर में होती है, क्योंकि अब घाटी में सेना एयर फोर्स कमांडो के साथ मिलकर अपने ज्वाइंट एक्शन को और तेज कर रही है। इसमें सबसे बड़ा सहयोग गरुड़ कमांडो का है।
इन्हें एयरबोर्न ऑपरेशन, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररिज्म का जिम्मा उठाने के लिए ट्रेंड किया जाता है। गरुण कमांडो जम्मू और कश्मीर में काउंटर इन्सर्जन्सी ऑपरेशंस में भी ऑपरेट कर चुके हैं
आर्मी के पैरा कमांडो व नेवी के मार्कोस कमांडो की तरह गरुण कमांडो भी बेहद खूंखार हैं। इस फोर्स का गठन वर्ष 2004 में किया गया था। कुछ महीने पूर्व ही सेना ने घाटी में अपने एंटी टेररिज्म ऑपरेशन में गरुड़ कमांडो फोर्स को शामिल किया है।
भारतीय वायु सेना को इस स्पेशल फोर्स की जरूरत तब पड़ी, जब 2001 में आतंकियों ने जम्मू और कश्मीर में 2 एयरबेस पर हमला किया। जिसके बाद इस स्पेशल फोर्स का गठन किया गया।
गरुड़ कमांडो (Garud Commando) को अपने ट्रेनिंग के अंतिम दौर में भारतीय सेना के पैरा कमांडोज की सक्रिय रूप से तैनात यूनिट्स के साथ फर्स्ट हैंड ऑपरेशनल एक्सपीरियंस के लिए अटैच किया जाता है।
गरुड़ कमांडोज दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक हथियारों से लैस होते हैं, जिनमें साइड आर्म्स के तौर पर Tavor टीएआर -21 असॉल्ट राइफल, ग्लॉक 17 और 19 पिस्टल, क्लोज क्वॉर्टर बैटल के लिए हेक्लर ऐंड कॉच MP5 सब मशीनगन, AKM असॉल्ट राइफल, एक तरह की एके-47 और शक्तिशाली कोल्ट एम-4 कार्बाइन शामिल हैं।
गरुड़ कमांडो (Garud Commando) के पास इजराइल में बने किलर ड्रोन्स होता हैं, जो टारगेट पर बिना किसी आवाज के मिसाइल फायर कर सकते हैं। मॉडर्न हथियारों से लैस गरुड़ कमांडो हवाई हमले, दुश्मन की टोह लेने, स्पेशल कॉम्बैट और रेस्क्यू ऑपरेशन्स के लिए ट्रेंड होते हैं।
एयर फोर्स के कमांडो स्निपर्स से भी लैस होते हैं, जो चेहरा बदलकर दुश्मन को झांसे में लाता है और फिर मौत के घाट उतार देता है। गरुड़ स्पेशल फोर्स के पास 200 UAV ड्रोन के साथ-साथ ग्रेनेड लांचर भी हैं।
यदि आप पूरी डिटेल्स से बारीकी के साथ जानना चाहते हैं कि “गरुड़ कमांडो कैसे बने | Garud Commando Kaise Bane” तो आप इस लेख (article) को पूरा अंत तक पढ़ें ताकि आपको इसके बारे में पूरी जानकारी मिल पाए।
Table of Contents
गरुड़ कमांडो कैसे बने | Garud Commando Kaise Bane
आपको बता दें कि गरुड़ कमांडो (Garud Commando) में सीधी भर्ती नहीं ली जाती है। गरुड़ कमांडो (Garud Commando) में भर्ती होने वाले जवानों का चयन IPS(भारतीय पुलिस सेवा), पैरा मिलिट्री फोर्स, CISF( केन्द्रीय औधोगिक सुरक्षा बल), BSF(सीमा सुरक्षा बल), CRPF( केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल) से किया जाता है।
यदि आप एक गरुड़ कमांडो (Garud Commando) बनाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले आईपीएस, सीआईएसएफ, बीएसएफ, सीआरपीएफ इत्यादि बनना होगा, उसके बाद ही आप एक गरुड़ कमांडो (Garud Commando) बन सकते हैं।
शुरुआती 3 महीनों के प्रोबेशन पीरियड के दौरान अगले दौर की ट्रेनिंग के लिए बेस्ट जवानों को छांटा जाता है। अगले फेज की ट्रेनिंग स्पेशल फ्रंटियर फोर्स, इंडियन आर्मी और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के साथ दी जाती है, जो इस फेस में सफल होते हैं, वह अगले दौर की ट्रेनिंग में जाते हैं
एक गरुड़ कमांडो को लगभग ढाई साल की ट्रेनिंग के बाद तैयार किया जाता है और यह ट्रेनिंग बहुत कठिन होती है। इतनी सख्त ट्रेनिंग में सफल रहने वाले जवानों को फिर आगरा के पैराशूट ट्रेनिंग स्कूल भेजा जाता है।
गरुड़ कमांडो में शामिल होने के लिए कई तरह के चयन प्रक्रियाओं में से गुजरना पड़ता है और यह चयन प्रक्रिया बहुत कठिन होती है इसमें से बहुत कम लोग क्वालीफाई कर पाते हैं।
चयन प्रक्रिया में सबसे पहले फिजिकल टेस्ट लिया जाता है उसमें पास होने के बाद इंटरव्यू लिया जाता है और यह दोनों प्रक्रियाओं को पास करने के बाद एक लिखित परीक्षा एक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन और एक फिजिकल टेस्ट भी लिया जाता है।
गरुड़ कमांडो देश के बेहतर कमांडो मानी जाती है इसलिए इसके बाद सफल उम्मीदवारों को स्पेशल ट्रेनिंग दिया जाता है, उसके बाद आप एक गरुड़ कमांडो बन जाते हैं।
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गरुड़ कमांडो का क्या काम होता है? (Garud Commando Ka Kya Kam Hota Hai)
गरुड़ कमांडो फोर्स भारत की एक स्पेशल फोर्स है, जो कि भारतीय वायु सेना संभालती है। गरुड़ कमांडो फोर्स का गठन 6 फरवरी 2004 में किया गया था। गरुड़ कमांडो फोर्स का हेड क्वार्टर गाजियाबाद में स्थित है।
इनका आदर्श वाक्य जिससे कि हम इंग्लिश में मैन मोटो बोलते हैं, वह है “प्रहार से सुरक्षा” और इनका मेन रोल डायरेक्ट एक्शन वार फेयर होता है। एयरबोर्न ऑपरेशन कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू फॉर इंटरनल डिफेंस इत्यादि इनके काम होते हैं।
गरुड़ कमांडो के पास इजराइल में बने किलर ड्रांस है, जो टारगेट पर बिना किसी आवाज के मिसाइल फायर कर सकते हैं।
यह कमांडो स्निपर्स से भी लैस होते हैं, जो चेहरा बदलकर दुश्मन को झांसे में लाता है और फिर उसे मौत के घाट उतार देता है। मॉडर्न हथियारों से लैस गरुड़ कमांडो हवाई हमले, दुश्मन की टोह लेने, स्पेशल कॉम्बैट और रेस्क्यू ऑपरेशन्स के लिए ट्रेंड होते हैं।
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गरुड़ कमांडो की सैलरी कितनी होती है? (Garud Commando Ki Salary Kitni Hoti Hai)
गरुड़ कमांडो की सैलरी की बात किया जाए तो गरुड़ कमांडो के सब लेफ्टिनेंट की सैलरी 72100 से लेकर ₹90600 तक होती है।
एक गरुड़ कमांडो को उनके सैलरी के अलावा भी बहुत प्रकार के सुविधाएं और एलाउंसेस दिए जाते हैं जो ग्रेड पर होते हैं।
सैलरी के अलावा अन्य सुविधाएं और एलाउंसेस की बात किया जाए तो उसमें हाउस रेंट, एलाउंसेस ग्रेड पे और ऐसे ही कई सुविधाएं बच्चों के लिए और उनके परिवार के लिए एक गरुड़ कमांडो को दिए जाते हैं।
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दुनिया का सबसे खतरनाक कमांडो कौन सा है?
दुनिया के सबसे खतरनाक कमांडो अमेरिका के Delta फोर्स को मन जाता है, यह विश्व प्रसिद्ध कमांडो फोर्स में एक माना जाता है। ये कमांडो फोर्स दुनिया में सबसे खतरनाक, तेज कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं।
इनका स्थान अमेरिका खुफिया बलों में सबसे ऊपर माना गया है। इस फोर्स को सबसे आधुनिक तकनीक के साथ प्रशिक्षित किया जाता है, डेल्टा फोर्स स्पेशल मिशन के लिए बनी है।
जिस प्रकार से अमेरिका में डेल्टा कमांडो होते हैं ठीक उसी प्रकार से इंडिया में पैरा कमांडो,एनएसजी कमांडो और गरुड़ कमांडो होते हैं जो कि बहुत ही खतरनाक होते हैं।
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क्यों हुआ था गरुड़ कमांडो का गठन
गरुड़ कमांडो के गठन के बारे में बात किया जाए तो जब जम्मू-कश्मीर में 2001 में एयर बेस पर एक के बाद एक दो आतंकी हमलों की कोशिशें हुईं।
इसके बाद आईएएफ को एक खास तरह के बल की जरूरत महसूस हुई जो अति संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा कर सके। इसी मकसद को पूरा करने के लिए सितंबर 2004 में गरुड़ कमांडोज फोर्स का गठन किया गया।
इसका पहला मकसद इंडियन एयर फोर्स के संस्थानों को आतंकी हमलों से बचाना है। गरुड़ कमांडोज को 52 हफ्तों के बेसिक ट्रेनिंग कोर्स से गुजरना पड़ता है। शुरुआती तीन माह तय कर देते हैं कि कौन सा गरुड़ बेस्ट है और आगे की ट्रेनिंग के लिए फिट है।
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Conclusion
दोस्तों, हम उम्मीद करते है कि आज के इस लेख (article) के माध्यम से आप लोग समझ गए होंगे कि “गरुड़ कमांडो कैसे बने | Garud Commando Kaise Bane” जिसकी पुरी जानकारी इस लेख के माध्यम से देने का कोशिश किया हूं।
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आज हमलोगों ने जाना :-
गरुड़ कमांडो कैसे बने | Garud Commando Kaise Bane | Garud Commando Ka Kya Kam Hota Hai | Garud Commando Ki Salary Kitni Hoti Hai | Garud Commando Kya Hai | Garud Commando Kon Hota Hai